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आजादी का जशन

AKULAHTE...MERE MAN KI
AKULAHTE...MERE MAN KI
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टूट रहे  है  भ्रम कई
टूट रही  है सीमाएं
मन के माया जाल में
फंसी थी  कई प्रव्न्च्नाएं
कुछ समाज ने दिया है
कुछ खुद हमने पैदा कर ली है
अब तो टूट रहे है वर्षो की
अभेद वयंज्नाये
सारे बंधन , सारे जाल
जो बुनने है हमने सदियों से
दम घुटने के दिन  अब तो गए
आजादी का  जशन  तो
खुल के हम मनायेगे
रचे मिल कर गीत नए
आसमान तक छा जायेंगे
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