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दोराहे.

AKULAHTE...MERE MAN KI
AKULAHTE...MERE MAN KI
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चुननी होती है
जिंदगी में कई राहें
पहचानने होते है
कई बार चेहरे
पार करने होते है
कई आयाम
सत्य- असत्य
धर्म-अधर्म
जय- पराजय
पक्ष–विपक्ष
नहीं बच सकता है कोई
उदासीन भी नहीं रह सकता
यही है मानव जीवन का
सर्वविदित सत्य
इससे राम और कृषण भी
नहीं थे परे
द्वन्द-प्रतिद्वन्द
चलता रहता है
मन के अन्दर भी
और  बाहर भी
नहीं होता है
कोई भी बुरा
जब तक होता नहीं
वशीभूत
इर्ष्या- द्वेष से
लोभ और स्वार्थ से
मित्रता-शत्रुता
आशा- निराशा
विश्वास-अविश्वास 
इन दोराहो से
हर बार गुजरना होता है

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 

 

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