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अंतस का कोना ..

AKULAHTE...MERE MAN KI
AKULAHTE...MERE MAN KI
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बतकही कितनी भी
कर लूँ
रहता है खाली खाली
अंतस का कोना
ढोल बजा लूँ कितनी भी
रहता है सुना सुना
अंतस का कोना
शब्दों का मायाजाल है
जिंदगी का ख्याल है
कोशिश कितनी भी कर लूँ
रहता उदास है
अंतस का कोना
इश्वर के दरबार में
सब के लिए अरदास है
चलो अक दीप जला लूँ
जुगनुओ को दोस्त बना लूँ
अपनेपन के शोर से
गुंजित कर लूँ
अंतस का कोना…..

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