AKULAHTE...MERE MAN KI
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मृत्यु जब तक तुम्हे
वरण नहीं कर लेती
तब तक करो इन्तजार
रखो अटल विश्वास
गले लगा लो
सारी प्रवंचनाएं
मत ठुकराओ
दुनियावी बंधन
मान-अपमान की पीड़ाएँ
भीड़ व् अकेलेपन की दुविधाएं
सभी अपना लो
सदियों की धूल
लगा लो माथे पे
चूम लो सारे
अनुग्रह -आग्रह
बाँहे फैला कर
स्वीकार कर लो
जिसे व्यर्थ समझ
ठुकराया था अब तक
क्योंकि तभी आसां हो पाएगी
मृत्यु के इन्तजार की अवधि
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